आज प्रत्येक क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा इतनी
अधिक बढ़ गई है कि अपनी योग्यता अनुरूप सफलता या सही स्थान पा लेना
भी बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, नौकरी की समस्या की जटिलता का
अंदाजा तो इसी बात से लगाया जा सकता है कि छोटी और गैर-सरकारी
नौकरियों में भी एक पद के लिए हजारों प्रार्थी आवेदन करते हैं।
साक्षात्कार आज विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं का महत्पूर्ण अंग बन
गया है, चाहे सिविल-सेवा हो या राज्य-सेवा, बैंक.सेवा हो या
प्रबन्धन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए। साक्षात्कार
क्या है ? साक्षात्कार का मतलब यहां मौखिक परीक्षा अथवा अंतर्वीक्षा
से है। यह एक ऐसा समय होता है, जिसमें कितने भी प्रतिभाशाली
उम्मीदवार क्यों न हों धैर्यहीन हो जाता है, तरह.तरह के ख्याल उनके
मन को कुरेदता रहता है, जिससे उनके आत्म.विश्वास में कमी हो जाती
है, जबकि असलियत यह है कि यह बहुत ही सहज प्रक्रिया है,
साक्षात्कार लेने वाला बोर्ड तो यह देखता है कि आप मानसिक सतर्कता,
आलोचनात्मक ग्रहणशक्ति, स्पष्ट और तर्कसंगत प्रतिपादन की शक्ति,
संतुलन निर्णय की शक्ति, रुचि की विविधता, गहराई, नेतृत्व और
सामाजिक संगठन की योग्यता बौद्विक तथा नैतिक ईमानदारी अपने विचार
को कितने विश्वास, बुद्धिमानी और सहजभाव से उनके सामने रख पाते
हैं।
साक्षात्कार का सामना करने से घबराना कैसा ! जिस पद के लिए आपने
आवेदन किया है और उस पद के लिए जो भी शैक्षणिक योग्यता निर्धारित
की गयी हैं, उससे सम्बन्धित सवाल ही आपसे साक्षात्कार में पूछे
जायेंगे उस विषय के तो आप अच्छे जानकार हैं, तभी तो आपने लिखित
परीक्षा उत्तीर्ण किये। इसके लिये तो आपको अपने आप पर गर्व करना
चाहिए और आपके अन्दर आत्मविश्वास पैदा होना चाहिए, जरा सोचिए, आप
कितने सौभाग्यशाली हैं। एक पद के लिए हजारों प्रत्याशी लिखित
परीक्षा में बैठते हैं और उन हजारों में से चुने हुए कुछ
प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को ही उत्तीर्ण घोषित कर साक्षात्कार के
लिए बुलाया जाता है।
सामान्यतः यह पाया गया है कि कई योग्य और मेधावी छात्र लिखित
परीक्षा में तो अद्वितीय प्रदर्शन करते हैं, पर साक्षात्कार में
असफल हो जाते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि साक्षात्कार के दौरान
कई उम्मीदवार आत्मविश्वास की कमी के कारण घबरा जाते हैं और सफलता
का स्वर्णिम अवसर खो बैठते हैं। साक्षात्कार में सफलता की सबसे
महत्वपूर्ण शर्त है-आत्मविश्वास ही साक्षात्कार में उम्मीदवार को
सफलता दिला सकता है। कई योग्य एवं मेधावी प्रत्याशी भी प्रायः
साक्षात्कार में असफल हो जाते हैं, क्योंकि आत्मविश्वास की कमी के
कारण वे अपनी योग्यता, ज्ञान व जानकारी का सही प्रदर्शन
साक्षात्कार मंडल के सामने नहीं कर पाते हैं। साक्षात्कार मंडल के
सामने नहीं कर पाते हैं। साक्षात्कार में असफल या आत्मविश्वास की
कमी हो जाने का भय प्रायः उन छात्रों में पाया जाता है जो पहले कभी
असफल हो चुके होते हैं, पर ऐसे छात्रों को यह बात हमेशा याद रखनी
चाहिए कि इस संसार में आज तक ऐसा कोई व्यक्ति हुआ ही नहीं, जिसने
कभी असफलता का सामना न किया हो, भूले ही आगे चलकर उस व्यक्ति ने
अपार सफलता हासिल क्यों न की हो। अतः उम्मीदवार को चाहिए कि अपने
मनोबल को कायम रखें तथा पूर्ण आत्मविश्वास के साथ साक्षात्कार में
भाग लें। फिर तो सफलता अवश्य ही आपके कदमों को चूमेगी पर इतना
निश्चित है मन की किसी भी प्रकार की कमजोरी उसे मंजिल तक पहुंचने
में बाधक बनेगी।
इंटरव्यू की तैयारी एक दिन, एक रात व सप्ताह में नहीं की जा सकती
है जैसा कि वर्तमान में अधिकतर उम्मीदवार करते हैं। सही तो यह है
कि साक्षात्कार के लिए संभाव्य प्रश्नों की तैयारी करके उनके उत्तरों
का मनन करना चाहिए। प्रतियोगिता परीक्षा से सम्बन्धित विभिन्न
पत्र.पत्रिकाएं हिन्दी व अंग्रेजी में निकलती हैं, जिनमे नवीनतम
जानकारियां भी होती हैं। उन्हें नियमित रूप से पढ़ें, पर एक बात का
ध्यान मुख्य रूप से रखनी चाहिए कि यह पत्र या पत्रिका किसी योग्य
लेखक द्वारा लिखित हो या किसी अच्छे प्रकाशन की हो, बेहतर होगा ्रकॉनिकल,
एस. चांद व उपकार प्रकाशन की पुस्तकें एवं प्रतियोगिता दर्पण में
प्रकाशित साक्षात्कार, दैनिक सामाचार पत्र में टाइम्स ऑफ इंडिया,
प्रभात खबर, हिन्दुस्तान, राष्ट्ीय सहारा व जनसत्ता के संपादकीय व
अन्य स्तरीय लेखों, दूरदर्शन और आकाशवाणी से प्रसारित समाचारों,
परिचर्चाओं और अन्य करेंट अफेयर से भी सम्पर्क बनाये रखना अति
आवश्यक हैं। तात्पर्य यह है कि पत्र.पत्रिकाओं के स्तर का विशेष
रूप से ध्यान रखना चाहिए। विभिन्न सामाजिक तथा राजनीतिक
पत्र.पत्रिकाओं पर भी नजर दौड़ाना आवश्यक है। इसके अलावे देश.विदेश
की नवीनतम घटनाएं, सामाजिक, राजनीतिक, वैज्ञानिक एवं आर्थिक
गतिविधियों से भी अवगत रहना चाहिए।
साक्षात्कार को कभी भयावह संकट नहीं समझना चाहिए, वरन् यह सोचकर
प्रसन्न रहें कि लम्बे समय से किये गये परिश्रम तथा तैयारी का
प्रमाण प्रस्तुत करने का सही समय आ गया है, साक्षात्कार के प्रश्नों
का बहुत हद तक पूर्वानुमान किया जा सकता है। साक्षात्कार की शुरूआत
प्रायः सामान्य रुचि के प्रश्नों से की जाती है, कई नामों के
साहित्यिक या शाब्दिक अर्थ होती है, नाम के बाद उम्मीदवार के जन्म
स्थान तथा सम्बन्धित राज्य के विषय में प्रश्न पूछे जाते हैं, कई
बार उम्मीदवार इन प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाते हैं, सिविल सेवा
परीक्षा के एक उम्मीदवार ने इतिहास व लोक प्रशासन विषय का चयन किया
था। वह रसायन में स्नातकोत्तर था। उससे रसायन के प्रश्न पूछे गये
जिनका वह संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। साक्षात्कार बोर्ड के पास
आपका सम्पूर्ण बायोडाटा ;जीवन परिचयद्ध रहता है। उम्मीदवार से उसकी
शैक्षणिक पृष्ठभूमि से जुड़े प्रश्न पूछा जाना स्वाभाविक है। सिविल
सेवा परीक्षा में सम्मिलित उम्मीदवारों से यह प्रश्न बार.बार पूछा
गया है कि तकनीकी पृष्ठभूमि के बावजूद वे सिविल सेवा में क्यों आना
चाहते हैं ? आपकी रुचि क्या है ? यदि इस नौकरी के लिए आपका चयन नहीं
हुआ तो आप क्या करेंगे ? अपने किसी कमजोर पक्ष की चर्चा करें, ?
पिता की आजीविका क्या है ? अन्य भाई.बहन क्या करते हैं ? उम्मीदवार
खाली समय का उपयोग कैसे करता है ? उम्मीवार से कुछ विशेष प्रश्न भी
पूछे जाते हैं जैसे भविष्य की कल्पना क्या है। यहां कुछ बातों का
ध्यान अवश्य रखना चाहिए। आवेदन पत्र में उम्मीदवार से उसके अभिरुचि,
खेल.कूद में भागीदारी इत्यादि के संदर्भ में भी जानकारी मांगी जाती
है। अपना रोब जमाने के लिए ‘क्या शौक है ?’ के उत्तर में किसी ऐसे
खेल का नाम कभी न बताएं जिसे आपने कभी खेला ही न हो ? या किसी ऐसी
चीज को अपना शोक न बताएं जिसकी आपको तनिक भी जानकारी ही न हो,
अन्यथा आरम्भ के दो.चार प्रश्नों के उत्तर में ही सही स्थिति सामने
आ जायेगी और आपकी छवि.धूमिल हो जायेगी। विशेष अभिरुचि का नहीं होना
अयोग्यता नहीं है। यदि जीवन परिचय में उम्मीदवार ने खेल का उल्लेख
किया है तो उससे खेलों के विभिन्न प्रकार, प्राचीन पुरुष तथा महिला
खिलाड़ियों के नाम खेलों के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां भविष्य
में बेहतर उपलब्धियों के लिए सुझाव जैसे प्रश्न अपेक्षित हैं, यदि
उम्मीदवार ने विशेष अभिरुचि में अध्ययन का उल्लेख किया है तो उससे
पूछा जा सकता है कि उसने कौन सी पुस्तकें पढ़ी हैं ? उसके प्रिय
लेखक कौन हैं ? प्राचीन लेखन व आधुनिक लेखन में क्या अन्तर है ?
इत्यादि।
साक्षात्कार में आप सर्वप्रथम समय के पाबंद रहे। इंटरव्यू के पूर्व
रात्रि लगातार देर तक जागकर तैयारी करना उचित नहीं,, अतः यथासम्भव
समय पर सो जाएं ताकि साक्षात्कार के दिन स्वयं को तरोताजा महसूस कर
सकें। सही समय पर साक्षात्कार स्थल पर पहुंचे, कहीं ऐसा न हो कि
आपका नम्बर आये तथा अप वहां उपस्थित ही न हों, समय पर न पहुंचने पर
मानसिक परेशानी हो सकती है, ऐसी हालत में आप सही जबाव देने में सफल
भी नहीं रहते। इससे आपके विषय में गलत धारणा बनेगी और आप नौकरी पाने
का अवसर भी खो देंगे।
साक्षात्कार के लिए जब आपका बुलावा आये तो साक्षात्कार कक्ष में
अनुमति लेकर प्रवेश करें तथा शालीनतापूर्वक अभिवादन करें। ध्यान यह
भी रखें कि बिना अनुमति के कभी भी कुर्सी पर न बैठें। साक्षात्कार
के बाद जब आपको जाने की इजाजत दी जाये तो बाहर जाने से पूर्व भी
धन्यवाद अवश्य दें।
प्रश्नकर्ता द्वारा जब प्रश्न पूछा जाये, उसका संक्षिप्त उत्तर
पूर्ण विश्वास और सुलझे हुए विचारों से सूक्ष्म व गहनता से दिया
जाये। प्रश्न को ध्यान से सुनना चाहिए। कभी प्रश्न पूछने एवं सुझाव
देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। यदि पूछे गये प्रश्न से आप
अनभिज्ञ हैं, तो बड़ी विनम्रता से कह देना चाहिए कि ‘मुझे इसकी
जानकारी नहीं है’ कह देना कहीं अधिक श्रेष्ठ है। इससे खराब असर नहीं
पड़ता। कभी.कभी सदस्यगण अजीबोगरीब प्रश्न पूछ बैठते हैं। इसमें
घबड़ाने की आवश्यकता नहीं है। कई बार ऐसा भी होता है कि सही उत्तर
होने पर पुनः पूछ लिया जाता है। ऐसी हालत में अपने उत्तर के प्रति
पूर्ण रूप से दृढ़ रहें। साक्षात्कार के लिए जाते समय आवश्यक
प्रपत्र, साक्षात्कार की सूचना, सभी प्रमाणपत्र अपने साथ अवश्य ले
जायें। फाइल में सभी प्रमाण पत्र इत्यादि आकर्षक ढंग से व्यवस्थित
एवं क्रमानुसार लगाये ताकि साक्षात्कार कर्ता देखें तो पहली बार से
ही आपकी सुघड़ता, स्वच्छता तथा व्यवस्था से प्रभावित हुए बिना नहीं
रहे।
यदि आप अधिकारी पद के लिए साक्षात्कार हेतु जा रहे हैं तो अपकी
वेशभूषा उसी के अनुसार होनी चाहिए, कुर्सी पर बैठने का अंदजा भी
अधिकारी जैसा ही हो। इंटरव्यू के समय वेशभूष का काफी प्रभाव पड़ता
है। भड़कीले कपड़े पहन कर न जायें, बेहतर होगा तड़क.भड़क के स्थान पर
आप सादे, मगर स्मार्ट वेशभूषा में जाये। बाल व्यवस्थित हो, दाढ़ी बनी
हो, नाखून कटे हों व जूतों में पॉलिश हो इत्यादि। साक्षात्कार कक्ष
में धूम्रपान करना, पान.मसाला चबाना, सिर पर हाथ से खुजलाना,
उंगलियां चटखाना, उबासी लेना, मुंछों पर ताव देना, नाक में उंगली
देना, नाखून चबाना इत्यादि से सामने वालों पर गलत प्रभाव पड़ता है।
प्रतिभावान छात्र जो किसी साक्षात्कार की तैयारी करना चाहते हैं
उनको विषय से सम्बन्धित विद्वानों तथा अनुभवियों से दर्शन प्राप्त
करने के लिए अपने स्वयं के अन्दर उत्कृष्टता तथा श्रेष्टता प्राप्त
करने के पूर्ण प्रयास करना चाहिए। सम्भव हो तो कुछ सफल व्यक्तियों
से सम्पर्क बनाये रखें तथा अनुभवों से कुछ सीखें। आवश्यकतानुसार
किसी अच्छे प्रशिक्षण केन्द्र की सहायता भी ली जा सकती है।
अतः दृढ़ इच्छाशक्ति, पूर्ण आत्मविश्वास, कठोर परिश्रम, धैर्य और
संयम जैसे गुर आप अपने साथ रखें, फिर तो कोई भी साक्षात्कार बोर्ड
आपको असफल घोष्ति कर ही नहीं सकता। किसी सफलता को प्राप्त करने के
लिए इच्छा ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उसके लिए पर्याप्त प्रयास
करना भी अति आवश्यक है। |