बहुत से विद्यार्थी स्वाध्याय पर निर्भर रहते
हैं और बहुत से विद्यार्थी विषय विशेषज्ञ के निर्देशन में नये सिरे
से तैयारी आरम्भ करते हैं। जो विद्यार्थी स्वाध्याय करते हैं, वे
भी किसी न किसी से निर्देशन लेते ही हैं। अब इतने कोचिंग संस्थान
हो गये हैं कि बहुत से अभ्यर्थी उनमें पढ़कर तैयारी करना पसन्द करते
हैं, यह उनके लिए अधिक सुविधाजनक और सहज होता है। जो अभ्यर्थी
कोचिंग संस्थानों का शुल्क नहीं वहन कर पाते हैं, वे स्वाध्याय पर
निर्भर रहते हैं।
यदि आप स्वाध्याय पर निर्भर हैं तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
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उन पुस्तकों की सूची तैयारी करें जिनका गहन
अध्ययन कर लक्ष्य प्राप्त करना है। विषय विशेषज्ञ से पुस्तकों की
सूची प्राप्त कर लें। चाणक्य सिविल सर्विसेज टूडे, प्रतियोगिता
दर्पण, सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल, कम्पीटिशन मास्टर, कम्पीटिशन
सक्सेस रिव्यू, सामान्य ज्ञान दर्पण में जो सफल अभ्यर्थियों के
साक्षात्कार प्रकाशित होते रहते हैं, उनमें भी पुस्तकों की सूची
दी हुई होती है।
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नया विषय (संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग के
सन्दर्भ में) न लें। वरीयता स्नातक स्तर के विषय को ही दें।
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उन छात्रों से मिलें जो सफलता प्राप्त कर चुके
हैं, आपके लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं।
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उन विद्यार्थियों से मिलें जो किसी कोचिंग
संस्थान में सुयोग्य विशेषज्ञ के निर्देशन में तैयारी कर रहे
हैं।
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निर्धारित प्रमाणिक पुस्तकों का अध्ययन करें
और अपनी अन्तदृष्टि का प्रयोग करते हुए तुलनात्क रूप से देखें कि
कौन सी पुस्तक अधिक कारगर है तथा किसमें विषय की अधिकारिक और
बोधगम्य विवेचना की गयी है।
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संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग की
परीक्षा-प्रारम्भिक परीक्षा की दृष्टि से आपको तथ्यात्मक जानकारी
हासिल करनी है, इसलिए पुस्तक में ही चिन्हित करते चलें और मुख्य
परीक्षा की दृष्टि से नोट्स तैयार करें। जो नोट्स तैयार करें
उन्हें सुयोग्य विशेषज्ञ से मूल्यांकित करवा लें।
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स्वाध्याय की दृष्टि से अपेक्षाकृत अधिक समय
की जरूरत होती है।
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संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग की प्रारम्भिक
और मुख्य परीक्षाओं, बैंक पी. ओ, रेलवे, एस.एस.सी. आदि परीक्षाओं
के लिए प्रतियोगिता दर्पण, चाणक्य सिविल सर्विसेज टूडे,
कम्पीटिशन मास्टर, कम्पीटिशन सक्सेस रिव्यू, इंडिया टूडे, आउट लक,
योजना जैसी पत्रिकाएं पढ़ें।
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मेडिकल एवं इंजीनियरिंग परीक्षाओं के लिए रू
कम्पीटिशन साइंस विजन (आगरा) बायोलॉजी टूडे (दिल्ली)ए जूनियर
साइंस रिफ्रेशर (दिल्ली) आदि पत्रिकाएं पढ़ें।
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पिछले वर्षों में पूछे गये प्रश्नों का
अभ्यास करें रू-(क) ग्रुप डिस्कशन द्वारा अभ्यास, (ख) उत्तर लिखने
का अभ्यास।
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मित्रों में इधर-उधर की बातें न करके विषय पर
चर्चा करें।
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अपने पर भरोसा रखें, अर्जुन की भांति लक्ष्य
आपके सामने हो। स्वााध्याय के लिए समय नियत करें और अधिकतम सीमा
तक उस कसौटी पर खरा उतरें।
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असफलता से निराश न हों तथा अपना दोष परीक्षक
पर न डालें। अपनी क्षमता का भ्रमपूर्ण आकलन न करें। उत्तर लिखकर
विषय-विशेषज्ञ से जांच करवाएं, निरन्तर परिमार्जन करे। पहले विषय
की आधारभूत तैयारी करें, फिर समय बचे तो विषय पर केन्द्रित नवीन
और प्रमाणिक (विद्वान या अधिकारी लेखक द्वारा लिखी हुई) पुस्तकों
का अध्ययन करें।
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मुख्य परीक्षा (सिविल सेवा) के दो माह पूर्व
तक वैकल्पिक विषयों की तैयारी पूरी हो जानी चाहिए, फिर उन विषयों
पर बनाये हुए नोट्स दोहराएं और सामान्य अध्ययन का परिमार्जन करें।
सामान्य हिन्दी और सामान्य अंग्रेजी की उपेक्षा न करें। निबन्ध
के लिए एक फाइल तैयार करें।
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स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखें। स्मरण शक्ति
बढ़ाने के लिए प्राकृतिक आयुर्वेदिक उपचारों की सहायता लें तथा
स्वस्थ चिन्तन रखें। किसी महापुरुष को अपना प्रेरणा, स्रोत बनायें।
जब-जब निराश हों, उसके प्रेरणादायक साहित्य का अध्ययन करें।
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इन्टरव्यू की तैयारी (सिविल सेवा) मुख्य
परीक्षा के साथ-साथ करते चलें, अभिव्यक्ति क्षमता का पर्याप्त
विकास ग्रुप डिस्कशन से ही सम्भव है। मुख्य परीक्षा के पश्चात्
इंटरव्यू की तैयारी करने की पद्धति गलत है। यदि आप वर्षों में
बोलना नहीं सीख सकते तो एक-डेढ़ माह में कैसे सम्भव है।
साक्षात्कार में आपके मौलिक चिन्तन, स्मरणशक्ति, बौद्विक क्षमता
को प्रशासकीय कसौटियों पर जांचा जाता है, उसमें आपकी अभिव्यक्ति
का महत्व सर्वाधिक होता है। आप अपनी बात किस ढंग से रखते हैं,
इसका अभ्यास सहपाठियों के बीच ही सम्भव है।
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पर्याप्त नींद लें, मार्निंगवाक पर जाएं,
स्तरीय अखबार देखें, टीवी पर न्यूज सुनें। चार-चार घंटे अध्ययन
के बीच मस्तिष्क को थोड़ा विश्राम दें। आपके अध्ययन का कक्ष अलग
हो, सम्भव हो तो परिवार से दूर अलग कमरा लेकर पढ़ें। यदि पढ़ाई से
इतर आप किसी चीज में व्यस्त हो रहे हों तो समय रहते
आत्ममूल्यांकन करें, जो चीज आपको अध्ययन से विरत कर रही हों, आप
स्वयं उनसे दूर हो जाएं।
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मनोरंजन के लिए थोड़ा समय अवश्य निर्धारित करें।
पढ़ाई को बोझ और जीवनचर्या को यांत्रिक न बनने दें। खूब हंसें, यदि
सम्भव हो तो पसंदीदा खेल खेलें।