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भारत की प्रमुख
स्वतंत्र संस्थाएं |
जन लोकपाल जैसी
स्वतंत्र संस्था को लेकर आंदोलन जारी है। आइए देखते हैं कि देश में
और कौन-कौन सी महत्वपूर्ण स्वायत्त संस्थाएं हैं-
योजना आयोग
योजना आयोग की स्थापना भारत सरकार द्वारा मार्च, 1950 में की गई
थी। देष में संस्थानों का प्रभावी दोहन कर, उत्पादन बढ़ा कर, सभी को
रोजगार के अवसर देकर लोगों के जीवन स्तर में तेजी से सुधार लाने के
उद्देश्यों से इस संस्था की स्थापना की गई थी। जवाहरलाल नेहरू योजना
आयोग के प्रथम अध्यक्ष थे। फिलहाल इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह हैं और उपाध्यक्ष एम. एस. अलहूवालिया हैं।
भारतीय चुनाव आयोग
भारतीय चुनाव आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्था है। इसका
गठन भारत में स्तवंत्र एवं निष्पक्ष रूप से प्रतिनिधिक संस्थानों
में जन प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था। भारतीय चुनाव आयोग की
स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। आयोग में वर्तमान में एक
मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते है। वर्तमान में मुख्य
चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी हैं।
संघ लोक सेवा आयोग
संघ लोक सेवा आयोग (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) भारत के संविधान
द्वारा स्थापित एक ऐसी संस्था है जो भारत सरकार के लोक सेवा के
अधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाएं संचालित करती है। संविधान
के अनुच्छेद 315-323 में एक संघीय लोक सेवा आयोग और राज्यों के लिए
राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है। प्रथम लोक सेवा आयोग
की स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 को हुई थी।
राष्ट्रीय महिला आयोग
राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन जनवरी 1992 में एक संवैधानिक निकाय के
रूप में किया गया था। महिला आयोग का काम महिलाओं के संवैधानिक हित
और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू करना होता है। इस आयोग
की पहली अध्यक्ष जयंती पटनायक थीं। मौजूदा अध्यक्ष ममता शर्मा है।
केंद्रीय सूचना आयोग
भारत सरकार ने अपने नागरिकों के जीवन को सहज, सुचारु रखने और देश
को पूरी तरह लोकतांत्रिक बनाने और सरकारी पारदर्शिता के लिए आरटीआई
अधिनियम स्थापित किया। 2005 में इस का आयोग गठन किया गया। राइट टू
इन्फॉरमेशन (आरटीआई) का अर्थ है सूचना का अधिकार और इसे संविधान की
धारा 19 (1) के तहत एक मूलभूत अधिकार का दर्जा दिया गया है। आरटीआई
के तहत हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि सरकार कैसे कार्य
करती है। फिलहाल मुख्य सूचना आयुक्त सत्यानंद मिश्र है।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन राष्ट्रीय
अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम-1992 के तहत किया। इसका गठन पांच धार्मिक
अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्व एवं पारसी समुदाय के हितों
की रक्षा के लिए किया गया है। आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष
और पांच सदस्य होते हैं जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करते
हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष वजाहत
हबीबुल्लाह हैं। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली,
झारखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, मणिपुर, राजस्थान,
तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल में भी राज्य
अल्पसंख्यक आयोगों का गठन किया गया है। इन आयोगों के कार्यालय
राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
कम्पट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल यानी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को
आम तौर पर कैग के नाम से जाना जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद
148 में कैग का प्रावधान है, जो केंद्र व राज्य सरकारों के विभागों
और उनके द्वारा नियंत्रित संस्थानों के आय-व्यय की जांच करती है।
यही संस्था सार्वजनिक धन की बरबादी के मामलों को समय-समय पर प्रकाश
में लाती है। 1948 में पहले कैग वी. नरहरि राव बने थे। भारत के कैग
फिलहाल विनोद राय हैं। वह देश के 11वें कैग हैं।
– रूबी प्रसाद, साभार: अमर उजाला उड़ान |
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